पंचनद दीप महापर्व का पांचवां संस्करण: चंबल संग्रहालय ने पोस्टर किया जारी


वीरेंद्र सिंह सेंगर 

पंचनद, इटावा। पांच पवित्र नदियों यमुना-चंबल सिंध पहूज और कुंवारी के पवित्र महासंगम पंचनद धाम पर स्थित चंबल संग्रहालय, पंचनद द्वारा विश्व के अनोखे पांच नदियों के महासंगम पर आयोजित ‘पंचनद दीप महापर्व’ का पांचवां संस्करण आगामी 26 नवंबर, 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन के आधिकारिक पोस्टर का विमोचन संग्रहालय पदाधिकारियों ने साझे तौर पर किया। इस वर्ष के पंचनद दीप महापर्व को भारतीय संविधान दिवस के उपलक्ष्य में चंबल अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में विशेष तौर पर आयोजित किया जा रहा है। इसके सफल आयोजन के लिए औरैया, इटावा, जालौन, बाह, भिंड, मुरैना सहित बीहड़ के इलाकों में जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया गया है। विभिन्न टीमें प्रचार-प्रसार सामग्री के साथ इस कार्य में जुटी हुई हैं। चंबल संग्रहालय के प्रयासों की सराहना करते हुए, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश पर्यटन निदेशालय के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। पंचनद दीप महापर्व के दौरान संकल्प सभा, सलामी मशाल, क्विज प्रतियोगिता, डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रदर्शन, दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। चंबल संग्रहालय के महानिदेशक और प्रसिद्ध दस्तावेजी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने जानकारी दी कि इस वर्ष का महापर्व 1857 के महान क्रांतिकारी और महाकालेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी गुसांई कुट्टीबक्स की स्मृति में समर्पित है। उन्होंने बताया कि जब इटावा कलेक्टरेट के क्रिमिनल रिकॉर्ड की गदर फाइल का उत्खनन किया गया, तो अनेक गुमनाम योद्धाओं के वीरता के किस्से सामने आए।1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गढ़िया कालेश्वर मंदिर को महंत गुसांई कुट्टीबक्स ने एक दुर्ग के रूप में परिवर्तित कर दिया था, जिसमें उन्होंने विद्रोही सैनिकों के साथ पड़ाव डाला। तातारपुर और हनुमतपुरा से अंग्रेजी सेना के खिलाफ मोर्चा संभाला गया, जिससे यह क्षेत्र लंबे समय तक स्वतंत्र रहा। लेकिन 10 अगस्त 1858 को अंग्रेजी सेना ने सैकड़ों पैदल सैनिकों और तोपों के साथ जलमार्ग से हमला किया। महंत के पास मात्र 150 नियमित सैनिक और आसपास के बंदूकधारी थे। भीषण युद्ध के बाद ही अंग्रेजी सेना मंदिर पर अधिकार कर सकी। मुकदमे के दौरान पंचनद घाटी में अंग्रेजी सरकार कोई गवाह पेश नहीं कर पाई। पोस्टर विमोचन के अवसर पर चंबल संग्रहालय से जुड़े वीरेंद्र सिंह सेंगर,मुहम्मद एहसान, देवेन्द्र सिंह, मनोज सोनी, राजेश सक्सेना, आदिल खान आदि कई वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य विशिष्टजन उपस्थित रहे।

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