रामलीला के प्रथम दिन नारद मोह, रावण अत्याचार की लीला का मंचन

जालौन से ब्रजेश उदैनिया के साथ आशीष द्विवेदी की रिपोर्ट

जालौन।  नगर की ऐतिहासिक तथा प्राचीन रामलीला महोत्सव के प्रथम दिन नारद मोह तथा रावण अत्याचार की लीला का मंचन बुंदेलखंड के महान कलाकारों द्वारा गोविंदेश्वर रामलीला भवन पर किया गया। लीला का संचालन राजकुमार मिहोना द्वारा किया गया। नगर की प्राचीन तथा ऐतिहासिक रामलीला के प्रथम दिन नारद मोह तथा रावण अत्याचार की लीला का मंचन किया गया, रामलीला के मंचन का प्रथम दृश्य नारद जी की तपस्या से शुरू किया गया नारद जी की तपस्या से इंद्र का सिंहासन डोलने लगा और इंद्र ने नारद जी की तपस्या भंग करने के लिए तमाम उपाय किए ,अंत में कामदेव ने भी नारद की तपस्या से हार मान ली।  नारद को जब पता चला की उसने कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली है तो वह इस बात से खुशी होकर अभिमान करने लगे , विष्णु भगवान ने नारद जी को अभिमन  से मुक्त करने के लिए एक लीला रची, जिसमें नारद जी ने क्रोध में जाकर भगवान विष्णु को श्राप दिया। इसके बाद रावण द्वारा साधु संतों पर अत्याचार किया गया उनके रक्त को लेकर एक घड़े में बंद कर जमीन में खोद कर रखा गया । उक्त मंचन में विष्णु की भूमिका रामदूत तिवारी, लक्ष्मी श्याम जादौन, नारद उमेश दुबे ,शंकर जी बबलू दीवाना, ब्रह्मा जी प्रयाग गुरु, इंद्र रमेश दुबे, कामदेव बबलू दीवाना ,अप्सराय तितली रानी, मनु रानी ,साहिल ,।रामलीला का निर्देशन पंडित प्रयाग गुरु उरगांव ने किया ।

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