औरैया- नगर पंचायत अटसू विकास से कोसों दूर


रिपोर्ट- वीरेंद्र सिंह सेंगर 

अटसू औरैया। जनपद औरैया की नगर पंचायत अटसू जनप्रतिनिधियों की उदाशीनता के कारण अब तक विकास कार्यों से कोसो दूर दिखाई दे रही है। ज्ञात हो कि नगर पंचायत अटसू को नगर पंचायत का दर्जा मिले हुए 30 बर्ष से अधिक का समय गुजर गया लेकिन फिर भी अभी तक बहुत सी ग्राम पंचायतों से भी पिछड़ी दिखाई देती है नगर पंचायत अटसू। इसे नसीब का खेल कन्हे या फिर कुछ और जब अटसू को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ तो शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि विकाश कार्यों के मामले में कई ग्राम पंचायतों से अधिक फिसड्डी साबित होगी नगर पंचायत अटसू बताते चलें नगर में अभी तक एक भी वाटर कूलर की व्यवस्था किसी भी जनप्रतिनिधि के कार्यकाल में नहीं कारवाई गई है जबकि हर बर्ष गर्मी बढ़ती ही जा ही जा रही है। फिर भी एक भी वाटर कूलर ना होने से अटसू और आस पास की जनता को भीषण गर्मी में पीने का पानी भी नसीब नहीं है। जबकि अटसू कई बड़े कस्बों को जोड़ता है। जैसे बाबरपुर, अजीतमल, फफूंद, दिबियापुर, अछल्दा, विधूना, अहेरीपुर, निबाडी, सांफर, बल्लापुर आदि के लोगों का आना जाना रहता है। और जो लोग भी इस नगर में आते हैं उनका अक्सर गर्मी के सीजन में प्यास से जी हल्कान होता है। लेकिन जो भी हो जनप्रतिनिधि तो जनप्रतिनिधि ठहरे उनको क्या। चुनाव में तो सभी बड़े 2 वादे करते हैं लेकिन जैसे ही एक वार सत्ता हासिल होती है। जो वादे जनता से किए सब भूल जाते है। सत्ता है ही ऐसी की सत्ता और कुर्सी हासिल होने के बाद सब वादे उड़न छू हो जाते है। जबकि नगर में दो साप्ताहिक बाजार भी लगते है। और जिसमें नगर और आस पास के सब्जी बेचने वाले छोटे बड़े दुकानदार अपनी सब्जी की दुकानें भी लगाने आते हैं। साथ ही आईटीआई कॉलेज, और बैंक, पुलिस चौकी, कई प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल जैसी कई संस्थाएं मौजूद होने के बाबजूद  अभी तक ना तो वर्तमान चेयर मैन और ना ही पूर्व चेयर मैन जिनका भी कार्यकाल रहा हो किसी ने समस्या का निराकरण करने पर ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं कमसे कम इतना ही ध्यान दिया होता की जिस दिन साप्ताहिक बाजार लगता है तो सब्जी मंडी के आस पास एक टैंकर पानी का ही खड़ा करवा देते जिससे बाजार आने जाने लोगों को कम से कम प्यास से व्याकुल ना होना पड़े। जो छोटे दुकानदार सब्जी बेचने आते हैं। उनको पीने के पानी पर पानी की तरह रुपया खर्च ना करना पड़े। ताकी कुछ पैसा जोड़ लें अपने बच्चों के लिए साथ ही पीने का पानी भी नसीब हो जाए। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि खबर प्रकाशित होने के बाद जिम्मेदारो को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होता है या नहीं।

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