भक्तों के अहंकार को नष्ट करने को अवतार लेते हैं परमात्मा-पं. मिथलेश दीक्षित



रिपोर्ट
- कोंच से पी.डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार

कोंच (जालौन)। यहां गहोई भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भक्त श्रोता श्रीहरि परमात्मा की कल्याणकारी कथाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। कथा व्यास आचार्य पं. मिथलेश दीक्षित ने कहा कि भक्तों के कष्ट दूर करने के लिए ही भगवान का इस धरा धाम पर आविर्भाव होता है, लेकिन यह तभी संभव है जब भक्त निश्छल और कपटरहित हृदय से उनका स्मरण करता है। उन्होंने कहा कि यदि परमात्मा का कोई भक्त अहंकार से ग्रस्त होता है तो स्वयं परमात्मा उसके अहंकार का शमन करते हैं। उन्होंने भगवान के विभिन्न अवतारों की मनोहारी कथाओं का वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पहारिया परिवार द्वारा संयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में कथा प्रवक्ता आचार्य पं. मिथलेश दीक्षित ने अपनी रसमयी वाणी से श्रोताओं को परमात्मा के विभिन्न अवतारों की संगीतमयी और रसमयी कथाओं का रसास्वादन कराया। उन्होंने कहा कि गाय, ब्राह्मण, संत और सत्संगी जीवों पर जब भी विपत्ति आती है और वे निर्मल मन से जब भगवान का स्मरण करते हैं तब परमात्मा किसी न किसी रूप में इस धरा पर अवतार धारण करते हैं। कथा व्यास बताते हैं कि परमात्मा का वास सब जगह है, बस जरूरत है उसे पहचानने की। जो भी उसे सच्चे मन से स्मरण करता है वह अवश्य ही उसे प्राप्त होते हैं। रविवार की कथा में उन्होंने कूर्मावतार, मत्स्यावतार, वामन अवतार, कपिल अवतार आदि की मनभावन कथाएं विस्तार से सुनाईं। उन्होंने ध्रुव की कथा सुनाते हुए कहा व्यक्ति को सुरुचि के बजाए सुनीति को ग्रहण करना चाहिए तभी परम पद की प्राप्ति संभव है। गंगावतरण की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि राजा सगर के पुत्रों के मोक्ष के लिए रघुवंश में भगीरथ नाम के एक प्रतापी राजा ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिये घोर तपस्या की और अंतत: वह उन्हें लाने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि सुरसरि गंगा प्राणियों को पापों से मुक्त करने वाली है। अंत में कथा कुसुम कृष्ण कुमार पहारिया ने भागवत जी की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया।

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