बीस साल पहले आज ही के दिन हुआ था कोतवाली कांड, पुलिस ने ली थी तीन निर्दोषों की जान


रिपोर्ट
- कोंच से पी.डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार

कोंच (जालौन)। पुलिस अभी भी कहीं न कहीं बर्बर बरतानवी मानसिकता से उबर नहीं पाई है जिसके चलते कहीं न कहीं ऐसा कोई कारनामा हो ही जाता है जब खाकी दागदार हो उठती है। कोंच का बहुचर्चित कोतवाली कांड भी ऐसा ही एक घटिया कारनामा था जिसकी वजह से खाकी पर तीन लोगों की बेरहमी से हत्या करने का दाग लगा था। 
कोतवाली कांड की आज बीसवीं बरसी है जब 1 फरवरी 2004 को कोंच कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल देवदत्त सिंह राठौर ने तीन निर्दोषों को केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया था कि उन्होंने कोतवाल की निरंकुशता और मनमानी और निर्दोषों को रात भर लॉकअप में बंद रखने पर सवाल खड़े किए थे। उक्त कांड के दोषियों को हालांकि अदालत ने सजा दे दी है जिससे घटना में मारे गए लोगों के परिजनों में थोड़ा संतोष जरूर है लेकिन जो लोग गए हैं उनकी कमी तो उन्हें जीवन भर खलती ही रहेगी। बीस साल का लंबा समयांतराल गुजर जाने के बाद भी यहां के लोगों के जेहन में 1 फरवरी 2004 की सुबह घटी वह घटना आज भी कौंध जाती है जब रोडवेज कर्मचारी संघ के मंडलीय पदाधिकारी महेंद्रसिंह निरंजन, सपा के वरिष्ठ नेता मथुरा प्रसाद महाविद्यालय प्रबंध समिति के तत्कालीन मंत्री सुरेंद्रसिंह निरंजन और उनके मित्र दयाशंकर झा को कोतवाली के अंदर तत्कालीन कोतवाल देवदत्त सिंह राठौर ने गोलियों से छलनी करके बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। उस दिन घटे इतने बड़े कांड की गूंज पूरे देश में सुनी गई थी।

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