व्यक्ति को दान करते समय अहंकार का भाव नहीं रखना चाहिए-प्रियंका शास्त्री




रिपोर्ट
- कोंच से पी.डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार

कोंच (जालौन)। समीपस्थ ग्राम पड़री स्थित अभिलाषा पैलेस में संयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के तृतीय दिवस कथा व्यास प्रियंका शास्त्री वृंदावन धाम ने व्यास पीठ से कथामृत पान कराते हुए कहा कि भगवान तो भक्त के वश में होते हैं, जैसे दैत्यों का राजा बलि भगवान में पूर्ण आसक्त था लेकिन अपने दानी होने का जब उसे अहंकार हो गया तो उसका अहंकार नष्ट करने के लिए भगवान ने वामन अवतार धारण किया और उसके यहां पहरेदारी करना भी स्वीकार किया। कथा प्रवक्ता ने ध्रुव, प्रह्लाद चरित्र और भगवान के वामन अवतार आदि की मनोहारी कथाएं सुनाईं। उन्होंने महादेव शंकर के विवाह की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सत्येंद्र सिंह पटेल शीलू द्वारा संयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के अंतर्गत कथा व्यास प्रियंका शास्त्री ने कहा कि प्रभु चरणों में अनुराग और निष्ठा के ही प्रभाव से प्रह्लाद जैसे भक्त के कष्ट दूर करने के लिए भगवान ने स्तंभ से प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए और उनके पिता घोर अत्याचारी हिरण्यकश्यपु को मोक्ष प्रदान किया। उन्होंने ध्रुव चरित्र की मनोहारी कथा में बताया कि जब ध्रुव अपने पिता उत्तानपाद की गोद में बैठ गए तो उनकी विमाता सुरुचि ने उन्हें गोद से उतार दिया। देवर्षि नारद के बताए अनुसार ध्रुव ने पांच वर्ष की उम्र में ही घोर तपस्या की तब परमात्मा श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और ध्रुव को दर्शन देकर उनको उनको ऐसे स्थान पर प्रतिष्ठित किया जो अटल है। दैत्यराज बलि की कथा सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा, दैत्यों का राजा बलि महान दानवीर था किंतु इसका जब उसे बहुत अहंकार हो गया तब अपने भक्त का अहंकार दूर करने के लिए भगवान नारायण ने वामन रूप धारण किया और उन्होंने बलि से तीन पग पृथ्वी दान में मांग ली। अहंकारी बलि ने उसे तीन पग पृथ्वी सहर्ष ही दान में देने के लिये अंजुलि में जल लेकर संकल्प ले लिया, किंतु दो पग में ही सारा ब्रह्मांड भगवान वामन ने नाप लिया और बलि का अहंकार नष्ट किया। तब बलि ने तीसरा पग अपने मस्तक पर रखने का आग्रह किया। राजा बलि से भगवान इतने प्रसन्न हुए कि उसके यहां पहरेदारी करना भी उन्होंने स्वीकार कर लिया। कथा व्यास कहते हैं कि व्यक्ति को दान करते समय अहंकार का भाव नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान का अवतार भक्तों के लिए होता है, दुष्टों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते हैं। दुष्टों का अंत तो उनकी दुष्टता के कारण ही हो जाता है। कथा परीक्षित पूर्व ब्लॉक प्रमुख चंद्रपाल सिंह व उनकी धर्मनिष्ठ पत्नी अभिलाषा निरंजन ने भागवत जी की आरती उतारी। कथा समापन पर प्रसाद वितरित किया गया।

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