वाल्मीकि ने लोक कल्याण के लिए लिखी थी रामायण
जया अग्रवाल ग्वालियर मध्य प्रदेश
*महर्षि वाल्मीकि जयंती पर विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र का व्याख्यान आयोजित
ग्वालियर। विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र ग्वालियर द्वारा महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में रविवार दिनांक 29 अक्टूबर 2023 को त्रैमासिक व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान महर्षि वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित था। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा भारत माता एवं महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय ग्वालियर के पूर्व प्राचार्य डॉ डी आर पवैया ने की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ रवि अंबे, बाल रोग चिकित्सक गजरा राजा चिकित्सा महाविद्यालय थे। वक्ता के रूप में डॉ भीमराव अंबेडकर पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के व्याख्याता मदन भार्गव भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अध्ययन केंद्र के टोली सदस्य विजय सुंदरम द्वारा केंद्र की गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया। विजय सुंदरम ने बताया कि विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र की नियमित गतिविधि के रूप में प्रति सप्ताह शनिवार सायं 6:00 बजे बैठक होती है जिसमें सामाजिक समरसता से संबंधित विषय पर पूर्व से निर्धारित विषय पर किसी एक वक्ता द्वारा विचार रखे जाते हैं एवं बैठक में उपस्थित अन्य सदस्य बारी-बारी से अपने विचार रखते हैं। इसके अतिरिक्त अध्ययन केंद्र समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक समरसता के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों प्रमुखता से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के द्वारा समाज के सम्मुख रखता है। यदि सामाजिक समरसता में बाधा संबंधी कोई शिकायत प्राप्त होती है तो अध्ययन केंद्र की सत्यशोधक टीम पूरी घटना की तथ्य परक जानकारी एकत्रित कर इसे ठीक करने का हर संभव उपाय करती है। विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र द्वारा आगामी माह से एक त्रैमासिक पत्रिका के प्रकाशन की भी योजना है। इस जानकारी के उपरांत अध्ययन केंद्र के सदस्य जितेंद्र बघेल ने अतिथियों का परिचय दिया। अतिथियों का स्वागत राम सेवक कटारे एवं पी डी माने द्वारा किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ डी आर पवैया द्वारा श्रोताओं के समक्ष यह विचार रखा गया कि समाज के सभी वर्गों को आपस में मिलकर चलने हेतु निरंतर विचार करना चाहिए क्योंकि विचार के द्वारा ही हम समाज के अंदर व्याप्त विषमताओं को दूर कर सकते हैं। उन्होंने अध्ययन केंद्र द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की एवं उपस्थित श्रोताओं से अध्ययन केंद्र की गतिविधियों से जुड़ने का आग्रह भी किया। व्याख्यान के प्रथम वक्ता के रूप में मदन भार्गव ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डाला कि किस तरह सद्गुरु से ज्ञान प्राप्त कर उन्होंने रामायण की रचना की। सतगुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को आत्मसात कर महर्षि वाल्मीकि ने अपने वैयक्तिक जीवन को पूर्णत: तिरोहित कर दिव्यता प्राप्त की जिससे वह महर्षि एवं भगवान कहलाए। उन्होंने समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में गजरा राजा चिकित्सा महाविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रवि अंबे ने महर्षि वाल्मीकि के कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रामायण में ज्योतिष, नीति, समाज व्यवस्था, रणनीति एवं युद्ध नीति का संपूर्ण वर्णन है। भगवान राम के चरित्र के माध्यम से महर्षि ने यह बताया है कि समाज में यथेष्ट कामों को करने के लिए विभिन्न प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है और इस शिक्षा का उपयोग समाज जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने में किस प्रकार किया जा सकता है। डॉक्टर रवि अंबे ने रामायण में निषाद राज एवं शबरी के चरित्र का वर्णन कर यह बताया कि भगवान राम ने सामाजिक समरसता स्थापित करने के लिए किस प्रकार श्रेष्ठ कार्य किए थे। रामायण की रचना लोक कल्याण के लिए थी, न कि महर्षि की व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में। माता सीता का महर्षि के आश्रम में निवास करना महर्षि वाल्मीकि की नारी जाति के प्रति सम्मान को तो दर्शाता ही है परंतु इसके साथ-साथ यह एक साहसिक उदाहरण को भी दर्शाता है कि राज्य द्वारा त्याग की गई महिला का सम्मान बनाए रखने के लिए किस प्रकार साहस के साथ खड़ा हुआ जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन विचार प्रवाह अध्ययन केंद्र के सदस्य अधिवक्ता श्री रविकांत बनाफल द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता सहित सभागार में उपस्थित सभी सम्माननीय अतिथियों के प्रति केंद्र की ओर से आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के संयोजक राजेश कटारे एवं अरजेंद्र छावरिया थे। कार्यक्रम में विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र के सदस्यों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे, जिनमें सुरेंद्र जी मिश्रा, सुधीर शर्मा एडवोकेट, डाॅ चंद्रशेखर मालवीय, डाॅ महेश शर्मा, मनीष राजोरिया, संतोष गोडयाले, वसंत गोडयाले, मोनिका जैन एडवोकेट, संगीता कटारे, अर्चना सगर, वर्षा सुमन सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मातृशक्ति भी उपस्थित थीं।यह कार्यक्रम की उल्लेखनीय उपलब्धि थी। कार्यक्रम का सफल संचालन ज्योति सगर द्वारा किया गया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें