कोंच......वन वन ढूंढन जाऊं कितऊं कृष्ण मुरार'
मंदिर के गद्दीधर महंत रघुनाथ दास के सानिध्य में आयोजित श्रावण तीज से प्रारंभ होकर रक्षाबंधन तक चलने वाले झूला महोत्सव के नवम दिवस के झूले का शुभारंभ अवकाश प्राप्त संगीत आचार्य ग्यासीलाल याज्ञिक ने मां वीणापाणि के आह्वान 'मां शारदे बीन अपनी बजा दे' से किया। उन्होंने राग वृंदावन सारंग में अपनी प्रस्तुति दी, 'वन वन ढूंढन जाऊं कितऊं छिपे कृष्ण मुरार'। 'आई बदरिया बरसनहारी, गरज गरज दामिन दमकावे' की भी उन्होंने शानदार प्रस्तुति दी। हरीश कुमार याज्ञिक ने बुंदेली में झूला गाया, 'झूलत मन न अघाए, रसिया न माने सजनी'। अपूर्व याज्ञिक ने भी झूला गाया, 'झूलन आज युगल सरकार बैठे हैं'। उन्होंने 'मेरा जीवन तेरे हवाले प्रभु जी इसे पग पग तू ही संभाले' गाकर श्रोताओं की तालियां बटोरीं। गोपाल जी ने गाया, 'यदि नाथ का नाम दयानिधि है तो दया भी करेंगे कभी न कभी'। नागा मोहनदास ने राग केदार झपताल में गाया, 'झूलें अवधनाथ', तीन ताल में गाया 'झूलत झूलत घिर आए बदरवा'। पूजा प्रजापति ने झूला प्रस्तुति दी, 'झूला झूलें सियाराम, झुलावैं सखियां'। संतोष राठौर ने गाया, 'ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया'। सृष्टि वर्मा ने 'श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा नाम, लोग करें मीरा को यूं ही बदनाम' की कर्णप्रिय प्रस्तुति देकर वाहवाही बटोरी। मनोज पचीपुरी ने 'अकेली गई थी व्रज में, कोई नहीं था मेरे संग, मोरपंख वाला मिल गया'। आकाश राठौर ने गाया, 'अखियां हरि दर्शन की प्यासीं'। वीरेंद्र त्रिपाठी ने झूला प्रस्तुति दी, 'झूला रामलला को न्यारो, झूलत है झुलनारो'। अंशिका और सौम्या त्रिपाठी बहनों ने कोर्स में गाया, 'वंशी बजाए घनश्याम मोसें नैना मिलाइकें'। प्रगति वर्मा ने गाया, 'यशोमति मैया से बोले नंदलाला'। सरोज मिश्रा ने गाया, 'दे दो अपनी नौकरी हे मेरे सरकार'। संचालन वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया। तबले पर महेश कुमार और हारमोनियम पर हरीश याज्ञिक संगत कर रहे थे। अंत में पुजारी गोविंददास ने रामलला सरकार की आरती उतारी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें