जालौन......इस बार रक्षाबंधन बुधवार की रात्रि9:02के वाद से गुरुवार तक मनाया
जालौन से बृजेश उदैनियां की रिपोर्ट
जालौन। ज्योतिषाचार्य पं रुपनारायण शास्त्री तथा पं रामशरण उदैनिया भगवाताचार्य ने संयुक्त रुप से जानकारी देते हुये बताया कि रक्षाबंधन पर्व भाई और बहिनो के पवित्र त्यौहार के रुप मे हमारे ऋषि मुनि प्राचीन काल से ही मनाते चलें आ रहे हैं और उन सब का संबंध अध्यात्म से जुड़ा हुआ है ज्योतिष के अनुसार मुहूर्त का भी एक विशेष महत्व होता है चूंकि ज्योतिष एक सागर है ।जैसे मनुष्य को भूख लगने पर भोजन मिल जाए तो जैसी तृप्ति उससे प्राप्त होगी, बैसी अन्य समय पर भोजन करने से नहीं, इस प्रकार ज्योतिष में भी मुहूर्त का एक विशेष महत्व है इसके विषय में जो जानता है वहीं इसके महत्व को समझते हैं,बस कोई भी शुभ कर्म मात्र शुभ मुहूर्त में शांति पूर्वक हो जाए ।पंचांग का अर्थ पांच अंग तिथि बार नक्षत्र योग करण है जिसको मिला करके पंचांग बना हुआ है जिसमें करण 11 होते हैं इसमें 7 चल संज्ञक व 4 स्थिर संज्ञक होते हैं ।
इसी में एक विष्टि करण होता है जिसे भद्रा भी कहते है यह यमराज और शनि की वहन है इसके 12 नाम है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा कर्क,सिंह,कुंभ,मीन राशि में प्रवेश करके गोचर करता है तब भद्रा (विष्टि) का पृथ्वी पर वास होता है अन्य राशियों में भ्रमण करने पर वह कभी आकाश में कभी पाताल में विचरण करती है यह जिस लोक में वास व विचरण करती है वह उसी लोक के मात्र शुभ कार्य का अनिष्ट भी करती है ।इसके मुखकाल को बचाना बहुत अनिवार्य होता है। अब रही बात पंचांगों के मुहूर्त की तो वह पंचांग जअपने देश काल के इष्टकाल अनुसार बनते हैं और उसमें भी थोड़ी वहुत भिन्नता न्यूनता तो होती ही है । साधु महात्मा व वुजुर्ग बताते हैं की वार से बड़ा त्यौहार होता है मुहूर्त के विषय में विद्वानों की अपनी अपनी मान्यताएं है ,निर्णय सागर में तो दिनांक 30 अगस्त बुधवार प्रदोष काल रात्रि 9:00 बजे के बाद रक्षा बंधन है ।और बनारस के ऋषिकेश पंचांग में रक्षाबंधन का मुहूर्त इसी दिन, रात्रि 9:02 के बाद से प्रारंभ है और 31 तारीख को रक्षाबंधन मनाया जाएगा वेद पाठी ब्राह्मणों का भी उपाकर्म 31 तारीख गुरुवार को होगा और ब्राह्मणों का श्रावणी उपाकर्म श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र नक्षत्र भोमवार को भी कर सकते हैं ऐसे शास्त्रों का आदेश और मान्यता है।
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