नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक किए गए, पैगंबर हजरत हुसैन की शहादत पर निकाले गए ताजिए
* साथ चल रहे अखाड़ों में हुनरबाजों ने दिखाए करामाती जौहर
कोंच। इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके 72 हमराहियों की शहादत पर बनाए गए 23 ताजियों को नम आंखों से विदा करते हुए सुपर्द-ए-खाक किया गया। इससे पूर्व हुसैन को याद करते हुए मुस्लिम विरादरी के लोगों ने मोहर्रम की नवमी व दसवीं पर ताजियों का जुलूस नगर में निर्धारित रूट पर निकाला गया।
'सजदा तो ऐसा अदा कर गए हुसैन सजदा नहीं यह तो सजदे की शक्ल है' जैसे कलाम के साथ मोहर्रम की 9 व 10 की रात चंदकुआं से मंसूरी विरादरी का ताजिया उठाया गया जो जुलूस के साथ भौंरे शाह मियां के चौक से ताजिया उठाता हुआ कस्बे के विभिन्न इमाम चौकों से ताजिए उठाता हुआ कुरैश नगर पहुंचा। यहां से ताजिया लेता हुआ पठान (साढ़े बारह) भाईयों के ताजिए को लेकर मोहर्रम की 10 तारीख को सुबह पावर हाउस पर जुलूस इकठ्ठा हुआ। जहां पर घंटों अखाड़ा व आग की वनैती खेली गई। इसमें हुनरबाजों ने एक से एक करामाती जौहर दिखाकर हुसैन की याद में अपनी कला और हिम्मत का प्रदर्शन किया। नौ बजे ताजिए अपने अपने इमाम चौकों के लिए चले गए। दोपहर करीब तीन बजे के बाद एक बार फिर ताजियों को उठाने का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें अंसारी विरादरी का ताजिया उठाया गया। मातमी धुन में ढोल बजते व अखाड़ा खेलते हुए लोगों का काफिला हुसैन हुसैन करता जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ता गया। हुसैन की याद में निकाले गए 24 ताजिए सागर तालाब पर पहुंचे जहां रात 10 बजे तक अखाड़ा खिलता रहा। वहीं लोगों ने हुसैन की याद में धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार फातिहा दिलाई। सभी ताजिए मातमी जुलूस में कर्बला की ओर चल पड़े। इस दौरान एसडीएम अतुल कुमार, सीओ रामसिंह जुलूस की पल-पल की अपडेट लेते रहे। अतिरिक्त निरीक्षक वीरेंद्र सिंह, दर्जनों दरोगा व भारी संख्या में पुलिस के जवान जुलूस के साथ रहे।
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