दरबार का राग
✍️राजेश मिश्रा
आजकल सोशल मीडिया के यू टयूब और टीवी चैनल्स पर दरबारों की बाढ़ आई हुई है और प्रत्येक दरबार में हजारों से लाखों की भीड़ उमड़ रही है जहां दावा किया जा रहा है कि इस दरबार में चुटकी बजाते ही हर समस्या का समाधान हो जाता है।
बचपन से केवल पूजा में भगवान का दरबार देखा था और प्राचीन–काल के राज दरबारों के बारे में सुना था लेकिन वर्तमान में इन तथाकथित साधु– संतों का भी दरबार लगा करेगा ये कल्पना शायद किसी ने नहीं की होगी, हाँ कुछ अनपढ़ लोगों की भीड़ जरूर झाड़–फूंक करने वाले ओझाओं के यहां इकट्ठी होती थी जहां ओझा के ऊपर देवता आता था और वो देवता हर समस्या का समाधान बताता था आज इन ओझाओं का स्थान कथित साधु–संतों ने और बैठकों का स्थान दरबारों ने ले लिया है।इन दरबारों की शक्ति की क्या सच्चाई है ये तो स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता लेकिन इनमें जुटने वाली हजारों–लाखों की भीड़ ये जरूर दर्शाती है कि आज व्यक्ति समस्याओं से संघर्ष करने के बजाय दरबारों के माध्यम से आशीर्वाद पा कर बिना कुछ किए ही सारी समस्याओं से मुक्ति पा लेना चाहता है।
हमारे वेद–पुराणों में कहा गया है कि अन्तर्यामी केवल भगवान हैं लेकिन इन दरबारों में दावा किया जाता है कि ये कथित संत अंतर्यामी हैं और दरबार में मौजूद हजारों लाखों लोगों में किसके मन में क्या चल रहा है, कौन क्या कह रहा है और किसकी क्या समस्या है इन सब के बारे में इन्हें पता है। आश्चर्य होता है पढ़े–लिखे लोगों से लेकर अधिकारी और मंत्री तक इनके शरणागत हैं और जब ये बड़े लोग ही आँखें मूंद कर इनके शरणागत हैं तो फिर आम आदमी तो इनके पीछे भागेगा ही।
मैं समझता हूं कि इन दरबारों से आम जन–मानस को कोई लाभ या समाज को कोई दिशा मिलने वाली नहीं है। अगर दरबारों से लोगों को समस्यामुक्त किए जा सकता होता तो शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने भी दरबार लगाये होते लेकिन आदि–काल से किसी महापुरुष ने इस तरह के दरबार नहीं लगाए फिर भी वे समाज को ऐसी दिशा दे गए जिस पर चलकर भारतीय संस्कृति और सभ्यता विश्व के लिए पथ–प्रदर्शक बनी।
मैं अनुरोध करता हूं दरबारों की ओर भागने वाली भीड़ से कि हमें केवल भगवान और अपने कर्मों पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि केवल यही शक्तियां हमको समस्याओं से मुक्ति दिला सकती हैं और हमारी मनोकामना पूरी कर सकती हैं। निवेदन भगवान से सीधा संपर्क रखने वाले इन संतों से भी है कि अगर आपके पास वास्तव में चमत्कारिक शक्ति है तो इसका प्रयोग चमत्कार दिखाने और प्रसद्धि पाने के लिए न करके कुछ ऐसा करें कि आम जन–मानस और पूरे समाज को इसका लाभ मिल सके।
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