जालौन वाली माता के मंदिर पर दर्शन करने भक्तो की उमड़ी भीड़
जालौन से बृजेश उदैनियां की रिपोर्ट
मन्दिर पर पाण्डवकाल से ही जल रही है अखण्ड ज्योति
जालौन।कुठौंद थाना क्षेत्र के बीहड़ में यमुना नदी के किनारे ग्राम बरीकेपुरवा में बना जालौनी माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। द्वापरयुग में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसे बनवाया था, तब इसका नाम जयंती देवी मंदिर था। कालांतर में इसका नाम कब और कैसे बदला, यह किसी को नहीं मालूम। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनौती पूरी होती है।
इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रृद्धालु दर्शन करने आते हैं। नवरात्र में तो यहां औरैया, इटावा, कानपुर देहात, मध्य प्रदेश के भिंड जनपद, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर के पुजारी मदन शुक्ल बताते हैं कि इस प्राचीन मंदिर में अब तक एक सैकड़ा से अधिक पुजारी नियुक्त हो चुके हैं। पांडवकाल से ही यहां एक अखंड ज्योति जल रही है। पुजारी बराबर इसकी देखरेख करते रहते हैं। यमुना नदी के किनारे बीहड़ में एक ऊंचे टीले पर बना जालौनी माता मंदिर कई मील दूर से दिखाई देता है। यहां वर्ष 1980 से वर्ष 2000 के बीच कई इनामी दस्यु सरगनाओं ने घंटे चढ़ाए हैं। पीतल के हर घंटे का वजन एक कुंतल दस किलो है। सैकड़ों छोटे छोटे घंटे भी हैं जो श्रृद्धालुओं ने मन्नत पूरी होने पर चढ़ाए हैं।
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