संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है : पं आशीष कृष्ण महाराज


माधौगढ़ से मनोज कुमार शिवहरे पत्रकार 

- श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण ही भक्ति का एक सरल मार्ग ।।

उरई संवाददाता जालौन के ग्राम सिकरी राजा में शंकर जी का मंदिर चौखण्डा कुआँ में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ पर विराजमान वृन्दावन से आए पं आशीष कृष्ण महाराज ने द्वितीय दिवस की कथा में पितामह भीष्म के प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि यदि जीवन में शांति और आराम चाहिए तो भजन करना चाहिए। क्योंकि भगवान के नाम स्मरण से ही मन को शांति मिलती है। महाराज ने कहा कि पितामह भीष्म बाणों की शैया में 6 महीने तक लेटे रहे और अंत में भगवान के भजन को करके मुक्ति को भी प्राप्त किए। आज के परिवेश से विचार किया जाए तो आज जो बालक अपने बूढ़े बाप को अनाथ आश्रम भेज देता है। उस पिता को भी जब तक वह जीता है उसे बाणों की शैया जैसा ही कष्ट मिलता है। माता-पिता की सेवा से समस्त देवता भी प्रसन्न होते हैं। कथा के दौरान व्यास महाराज ने प्रभु के सुन्दर प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है। जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं। भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है। कथा के दौरान परीक्षित राघवेन्द्र सिंह पत्नी राखी वृन्दावन से आये आचार्य अंकित तिवारी , रामकिशोर , पं दिनेश शास्त्री , संगीरकार वेद प्रकाश , हरिओम शरण , प्रीतम वृजवासी व्यवस्थापक लल्लू उपाध्याय , दीपक उदैनिया एवं क्षेत्रीय लोगों ने कथा का श्रवणपान कर आनंद लिया ।

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