ज्ञान और वैराग्य से प्रवल है भक्ति-दीनबंधु दास
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
* महाकालेश्वर मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बह रही है भक्ति रसधार
कोंच। यहां प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर (नायक का मठ) में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन विद्वान कथा व्यास दीनबंधु दास जी महाराज ने भगवच्चर्चा करते हुए मनुष्य के जीवन में भक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि ज्ञान और वैराग्य से कहीं अधिक प्रवल है भक्ति। वृंदावन धाम में भक्ति की ही प्रधानता है।
अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के तत्वाधान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के द्वितीय दिवस की कथा में विद्वान कथा प्रवक्ता मलूक पीठाधीश्वर संत राजेंद्र दास महाराज के विशेष कृपापात्र दीनबंधु दास जी महाराज ने भागवत महापुराण का महात्म्य बताते हुए कहा कि भागवत भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात वांगमय श्रीविग्रह है। भागवत कथा के एक श्लोक का एक शब्द ही अगर किसी के कान में पड़ जाए तो उसके सारे पापों का शमन हो जाता है। उन्होंने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है और संतों का दर्शन बिना परमात्मा की कृपा से संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि एक बार देवर्षि नारद भूलोक का भ्रमण करते हुए वृंदावन पहुंचे तो वहां उपस्थित एक दृश्य देखकर आश्चर्य चकित रह गए। एक तरुणी के समीप दो कृशकाय वृद्ध अशक्त अवस्था में पड़े थे और उक्त तरुणी विलाप कर रही थी। नारद ने उससे पूछा कि वे वृद्ध कौन हैं और वह विलाप क्यों कर रही है। उस तरुणी ने बताया कि वह दोनों उसके पुत्र ज्ञान और वैराग्य हैं। वृंदावन में आकर इनकी यह दशा हो गई है। इसका तात्पर्य है कि वृंदावन में भक्ति की प्रधानता है। कथा व्यास ने भगवान के विभिन्न स्वरूपों की भी चर्चा की। अंत में कथा परीक्षित सुरेंद्र तिवारी और उनकी पत्नी गरिमा ने भागवत जी की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया। आयोजक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिर्विद पं. संजय रावत शास्त्री ने आभार जताया। गोविंद शुक्ला, सचिन शुक्ला, आनंद मिश्रा, मनीष, छुट्टन शर्मा आदि व्यवस्थाओं में लगे थे।
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