जल्लाद कोतवाल डीडीएस राठौर ने आज ही के दिन गोलियों से छलनी कर दिया था तीन लोगों को
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
* कोंच कोतवाली का काला दिन है पहली फरवरी
* पुलिस की हैवानियत का जीता जागता उदाहरण है कोतवाली कांड
कोंच। हमारा देश भले ही सात दशक पूर्व बरतानवी हुकूमत की दासता से आजाद हो गया हो लेकिन आज भी पुलिस की कार्यशैली में बरतानवी हुकूमत की बर्बरता साफ दिखाई देती है। कोंच का बहुचर्चित कोतवाली कांड इसका जीता जागता उदाहरण है। 1 फरवरी 2004 कोंच के इतिहास के पन्नों में काले दिन के रूप में दर्ज है। इसी दिन तत्कालीन कोतवाल डीडीएस राठौर ने क्षेत्र की तीन हस्तियों को निर्दोष होते हुए भी केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया था कि उन्होंने कोतवाल की निरंकुशता और मनमानी पर सवाल खड़े करने और निर्दोषों को रात भर लॉकअप में बंद रखने का विरोध किया था। उक्त कांड के दोषियों को हालांकि अदालत ने सजा दे दी है जिससे घटना में मारे गए लोगों के परिजनों में थोड़ा संतोष जरूर है लेकिन जो लोग गए हैं उनकी कमी तो जीवन भर सालती ही रहेगी।
अट्ठारह साल का लंबा अंतराल गुजर जाने के बाद भी यहां के लोगों के जेहन में 1 फरवरी 2004 की वह घटना आज भी ताजा है जब कोतवाली में महेंद्रसिंह निरंजन, सुरेंद्रसिंह निरंजन और दयाशंकर झा को पुलिस कोतवाल देवदत्त सिंह राठौर ने बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। उक्त घटना को अनहोनी समझ कर भुलाने के लिए हालांकि अट्ठारह साल का लंबा समय भले ही काफी माना जाता हो लेकिन उन घावों के निशानों का क्या जो जब भी सामने आते हैं, उस काले दिन की बुरी यादें बरबस ही लोगों के जेहन में उतर कर रीढ में सिहरन पैदा कर देती हैं। दरअसल, 31 जनवरी 2004 की रात तत्कालीन कोतवाल डीडीएस राठौर ने बरिष्ठ सपा नेता और मथुरा प्रसाद महाविद्यालय प्रबंध समिति के तत्कालीन मंत्री सुरेंद्रसिंह निरंजन के दामाद शिवकुमार निरंजन को अकारण ही रात भर कोतवाली के लॉकअप में बंद रखा था और 1 फरवरी को जब कोतवाल से इसका हिसाब मांगा गया तो उन्हें इसमें अपनी तौहीन लगी। कोतवाल ने सुरेंद्रसिंह निरंजन, उनके बड़े भाई रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मंडलीय पदाधिकारी महेंद्रसिंह निरंजन तथा उनके अभिन्न मित्र दयाशंकर झा पर कोतवाली में गोलियों की बौछार कर तीनों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद तो जैसे जिले भर में आग सी लग गई और जगह जगह धरना प्रदर्शन आगजनी आदि की घटनाओं से पूरा जिला कई दिनों तक सहमा रहा था। कोतवाली में घटी उस दिल दहला देने वाली वारदात के बाद उन शहीदों के कृत कार्यों को याद कर इलाकाई लोग आने बाली पीढियों को पुलिस की ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद करने की नसीहत जरूर देते हैं। मंगलवार को कोतवाली कांड की अट्ठारहवीं बरसी पर तीनों शहीदों के नाम पर संचालित महेंद्रसिंह, सुरेंद्रसिंह, दयाशंकर मेमोरियल महाविद्यालय तीतरा खलीलपुर में उन्हें याद करने के लिए शांति पाठ हर साल किया जाता है। कोंच में भी कई कार्यक्रम आयोजित कर लोग उन तीनों रणबांकुरों की हिम्मत को लगातार याद कर नई पीढी को नसीहत देते हैं जुल्म और ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद करने की।
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