जिस दिन पहुंचे एसडीएम उसी दिन पहुंची सीएचसी में अलाव की लकड़ी
* अलाव का टोटा, सीएचसी में ठिठुर रहे मरीज और तीमारदार
कोंच से
पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
कोंच। हड्डियों में घुसती ठंड और आसमान से टपकता कोहरा लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा हैं। इस ठंड से लड़ने के लिए शासन की ओर से लोगों के लिए संसाधन की व्यवस्था भी की जाती हैं, लेकिन सरकार के कुछ लापरवाह कर्मचारियों के कारण लोग सरकार को लोग कोसने को मजबूर हो जाते हैं। ठंड से बचने के लिए कुछ लोग अपने निजी संसाधनों से आग जला कर अपनी और बच्चों की जीवन रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं। कोंच सीएचसी में अलाव का बुरा हाल हैं, मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार इस हाड़ कंपाऊ ठिठुरन में थरथर कांपने को मजबूर हैं। ठंड से बचने के लिए वहां कोई उपाय नहीं हैं। सर्दी के इस सीजन में मात्र एक दिन जब एसडीएम वहां गए थे, अलाव की लकड़ी सीएचसी में पहुंची थी उसके बाद न लड़कियों का अतापता है और न लकड़ी डालने वाले कर्मचारियों का। शुक्रवार को सीएचसी में मौजूद ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले तीमारदारों और सीएचसी कर्मचारियों ने बताया कि सीएचसी में अलाव न जलने से लोगों का बुरा हाल है और लोग ठिठुरने को मजबूर हैं। सीएचसी में आने वाले मरीज व डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के साथ रात दिन तीमारदार आते हैं और आग मिल जाती है तो उसके सहारे ठंड काट लेते हैं लेकिन अलाव न जलने से लोग काफी परेशान हैं। कुछ दिन पहले एसडीएम रामकुमार अलाव चेक करने निकले थे तो उस दिन लकड़ी डालने के लिए नगरपालिका की गाड़ी आई थी, उसके बाद कोई अलाव के लिए लकड़ी डालने ही नहीं आया है।
इंसेट में-
महिलाओं के साथ आने वाले छोटे छोटे बच्चों के लिए बड़ी है मुसीबत
कोंच। कड़ाके की ठंड में हर उस व्यक्ति जो घर से बाहर निकला है, को अलाव की तपिश की जरूरत है, लेकिन अगर सरकारी अलाव जलाने में कोताही बरती जाए तो लोगों की मुसीबत तो बढनी ही है। कोंच सीएचसी में अपनी भाभी को लेकर आए गजेंद्र राजपूत निवासी मंगरा का कहना है कि वे रात 3 बजे अपनी भाभी को लेकर डिलेवरी के लिए 102 एंबुलेंस से कोंच सीएचसी आए थे और भाभी को अस्पताल में भर्ती करा दिया लेकिन उनके साथ आए तीमारदारों के लिए अस्पताल में ठंड से बचने के लिए उन्हें अलाव तक जलता नहीं मिला जिससे उसकी व साथ आए बच्चों की कुल्फी सी जमी जा रही है। उन्होंने यहां वहां से कूड़ा करकट बीन कर आग जलाई और रात में अपनी ठंड छुड़ा पाए।
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