गिड़गिड़ाता रहा बीमार दिव्यांग, नहीं सुनी दरोगाजी ने और काट दिया चालान
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
* अधिकारियों को बताई अपनी आपबीती, लगाई न्याय की गुहार
कोंच। बुंदेलखंड में एक कहावत काफी लोकप्रिय है, कोढ में खाज जिसका सीधा और साफ मतलब यही है कि मुसीबत में और बड़ी मुसीबत आ जाना। मंगलवार को भी कमोवेेश ऐसा ही बाकिया पेश आया, एक गरीब बीमार नेत्रहीन दिव्यांग के लगातार गिड़गिड़ाने का वाहन चेकिंग कर रहे एक दरोगाजी के ऊपर राई रत्ती असर नहीं हुआ और उन्होंने उसके हाथों में पांच सौ रुपए का ई-चालान थमा दिया। चालान से परेशान दिव्यांग तहसील में अधिकारियों के पास पहुंचा और उनको प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। ग्राम खैरबार निवासी एक गरीब बुजुर्ग दिव्यांग और नेत्रहीन थानसिंह पुत्र छिंगे अनाथ है। उसकी देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है और गांव में इधर उधर से मांग कर किसी तरह अपना पेट भरता है। उसकी कुछ दिनों से तबियत खराब चल रही थी। सोमवार को अचानक उसकी तबियत और बिगड़ गई तो उसने गांव के दो युवकों के हाथ जोड़ कर कोंच अस्पताल में इलाज कराने के लिए कहा। बड़ी मुश्किल में दोनों युवक उसे बाइक से कोंच ले जाने के लिए तैयार हुए। जैसे ही थानसिंह को लेकर कोंच में प्रवेश किया तो वाहन चेकिंग कर रही पुलिस ने उसे रोक लिया और तीन सवारी में चालान कर दिया। दिव्यांग हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाता रहा कि वह दूसरे की बाइक से इलाज कराने आया था अकेला बाइक पर बैठ नहीं पा रहा था जिसकी बजह से वह दूसरे युवकों को अपने साथ ले आया था लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी और उसके हाथों में पांच सौै रुपए का ई-चालान थमा दिया। मंगलवार को उसने समाधान दिवस में अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है। इस घटना ने साफ कर दिया है कि मानवीयता का गुण हर किसी में नहीं होता है। बड़ा सवाल यह भी है कि जिसके पास खाने को नहीं हैै औैर दूसरों पर उसका जीवन निर्भर हैै वह कहां से जुर्मानेे के पांच सौै रुपए भरेगा।
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