मानव को कर्तव्य पालन की शिक्षा देती है भागवत कथा-पं. नीरज शास्त्री
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
कोंच। यहां धनुताल के समीप स्थित गौड़ बाबा के स्थान पर जारी श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में भक्ति और प्रेम की ऐसी रसधार बह रही है कि श्रोता आनंदित हो झूम रहे हैं। विद्वान कथा प्रवक्ता पं. नीरज शास्त्री ने रविवार की कथा में कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण ऐसा धर्मग्रंथ है जिसमें मानव मात्र को पग पग पर कर्तव्य पालन की शिक्षा दी गई है। उन्होंने भगवान को विश्वास का बिषय बताते हुए कहा कि परमात्मा की परीक्षा कभी नहीं लेनी चाहिए, वह तो विश्वास का बिषय है। माता सती ने परमात्मा की परीक्षा ली जिसके कारण पति शिव का साथ छूटा और परमात्मा भी रूठ गया। नगर के धर्मनिष्ठ रमाकांत तिवारी द्वारा संयोजित भागवत कथा में कथा व्यास बताते हैं कि भगवान वेद व्यासजी को सोलह पुराणों की रचना करने के बाद भी जब शांति नहीं मिली तो उन्होंने देवर्षि नारदजी के कहने पर भागवत ग्रंथ लिखा जो मानव की आत्मशांति के लिये ही है। भागवतजी में प्रेम, भक्ति एवं कर्तव्यपालन की प्रेरणाएं बार बार दी गई हैं जिनका तत्व सार यही है कि ईश्वर ने जो कर्तव्य दिए हैं उनका मर्यादा पूर्वक पालन करते हुए भगवद्भजन करें तो भगवान पिता, पुत्र, मित्र, सखा जैसे किसी भी रूप में अवश्य ही प्राप्त होगा। माता अनुसुइया ने किसी देवी देवता की पूजा नहीं की बल्कि अपने पत्नी होने का धर्म निभाया और महान पतिव्रता होने का गौरव प्राप्त करते हुए पुत्र रूप में परमात्मा को प्राप्त किया। इसके विपरीत माता सती ने भगवती होने पर भी अपने पत्नी धर्म का पालन नहीं किया, शिवजी की बात नहीं मानी, रामजी की परीक्षा ली, पति के रोकने पर भी पिता के घर जाती हैं जिसका परिणाम यह हुआ कि उनसे शिव छूटे, राम भी रूठे और अंत में अपना शरीर भी त्यागना पड़ा। बाद में पार्वती के रूप में उन्हें शिव की प्राप्ति हो सकी। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने जिसे जो भी दायित्व सौंपा है उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करने पर परमात्मा प्रसन्न होता है। अंत में कथा परीक्षित गायत्री तिवारी व श्यामसुंदर तिवारी ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया।
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