बच्चों की मददगार बनी 1098 चाइल्ड लाइन





अब तक मुसीबत में फंसे 200 से अधिक बच्चों को मुहैया कराई सहायता

दो बच्चों के दिव्यांग प्रमाणपत्र भी बनवाएपरिजनों  के चेहरे पर छाई ख़ुशी

 जालौन किसी भी तरह की मुसीबत में फंसे 18 साल से कम उम्र  के बच्चों की हरसंभव सहायता के लिए चाइल्ड लाइन काम कर रही है । चाहे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो या फिर किसी भी तरह का शोषण हो रहा है या फिर वह पढ़ाई से वंचित हों ऐसे बच्चों की सहायता सिर्फ एक फोन कॉल 1098 पर की जा सकेगी। जिले में चाइल्ड लाइन द्वारा इस साल 200 से अधिक बच्चों को सहायता मुहैया कराई गई है।

यह सहायता गुम हुए  बच्चों को उनके परिजनों से मिलानेउन्हें स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने राशन सामग्री मुहैया कराने स्कूली पढ़ाई के लिए ड्रेसकिताबें आदि मुहैया कराने के रूप में की  गई है। यही नहीं दो  बाल विवाह रोकने का  भी काम किया है।

चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक (डिस्ट्रिक कोआर्डिनेटरशिवमंगल सिंह ने बताया कि जिले में नौ सदस्यीय टीम है जो प्रत्येक ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर काम कर रही है। इसके तहत  लोगों को जागरुक करने के अलावा बच्चों की समस्याओं की चिह्नित कर उनके समाधान के लिए काम करती है। पिछले दिनों चाइल्ड लाइन की टीम की सदस्य कशिश वर्मा व काउंसलर प्रवीण यादव डकोर ब्लाक के धमनी गांव में बच्चों की समस्याएं एकत्रित कर रही थीतभी धमनी गांव में एक आठ साल का दिव्यांग सुरेश अपनी दादी की गोंद में मिला। वह पैर से दिव्यांग थाउसका पैर का पंजा टेढ़ा थाजिसकी वजह से  वह चल फिर नहीं पाता था। जब टीम ने उनसे दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने की बात कही तो सुरेश के परिजनों ने ऐसी किसी तरह की जानकारी होने से मना कर दिया। इस पर टीम ने उन्हे भरोसा दिया कि वह  उनकी मदद करेंगे। इसी तरह दौलतपुर गांव की पांच साल की रिया  एक पैर से दिव्यांग थीवह भी दिव्यांग प्रमाणपत्र न होने से परेशान थे। रामकुमार ने बताया कि वह कई बार चिकित्सकों से मिले लेकिन उनका सर्टिफिकेट नहीं बन पाया। टीम के सदस्यों ने उन्हें आनलाइन आवेदन करने की सलाह दी। परिजनों के कागज लेकर उनके आनलाइन आवेदन कराए और दिव्यांग बोर्ड के सामने प्रस्तुत कर बच्चों क दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाए। इस पर परिजनों ने टीम की सराहना की। 

 

क्या है चाइल्ड लाइन

चाइल्ड लाइन 24 घंटे चलने वली मुफ्त आपातकालीन फोन सेवा है। यह उन जरूरतमंद बच्चों के लिए हैजिन्हें देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है। राज्य सरकारोंगैर सरकारी संगठनोंशैक्षणिक संस्थानों के साथ भागीदारी में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की परियोजना है। टोलफ्री नंबर 1098 से किसी भी जगह इसकी मदद ली जा सकती है। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन की टीम तुरंत सक्रिय  होकर मदद की कोशिश शुरू कर देती है।

 

लॉकडाउन में भी सक्रिय रही चाइल्ड लाइन

चाइल्ड लाइन के कोआर्डिनेटर ने बताया ने बताया कि टीम लॉकडाउन में भी सक्रिय रही। जब लॉकडाउन में पूरी तरह से आवाजाही बंद थीलोग दवा तक के लिए परेशान थे। ऐसे में टीम के पास कॉल आई। टीम ने आठ महीने के बच्चे के लिए उसके घर तक दवा मुहैया कराने का काम किया। इसके अलावा कई बच्चों तक राशन सामग्री पहुंचाने का भी काम किया।

 

बंधुआ मजदूर को उसके घर तक पहुंचाया

चाइल्ड लाइन की टीम को पता चला कि उरई शहर के मोहल्ला राजेंद्र नगर में एक दस वर्षीय बालक से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है। इस पर टीम ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर दो साल से बंधुआ मजदूरी करने वाले बालक को मुक्त  कराया और उसे उसके घर भरतपुर (राजस्थानपहुंचाया।

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