तुलसी विवाह भक्तो ने बडी श्रध्या और भाव से मनाया










जालौन से बृजेश उदैनिया की रिपोर्ट

जालौन। शालिग्राम और तुलसी विवाह बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ लोगों ने मनाया इतना ही नहीं महिलाओं ने भी इस परंपरा को कायम रखते हुए घरों में तुलसी वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर इस विवाह को मनाया।
तुलसी विवाह की परंपरा पूर्व काल से चली आ रही है यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में एकादशी से पूर्णिमा तक अपने अपने मतों के अनुसार मनाया जाता है तुलसी जी पूर्व जन्म से जालंधर की पत्नी वृंदा थी जालंधर का देवताओं के बीच चल रहे युद्ध में बिंदा के तपस्या सतीत्व के चलते उसको भी मार नहीं पा रहे थे तब तो भगवान ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा का सतीत्व नष्ट कर दिया जिसके चलते उसके पति जालंधर की मौत हो गई तब जिंदा के श्राप के कारण भगवान पाषाण बन गए और काले पड़ गए सभी देवी देवताओं की प्रार्थना पर बिंदा तुलसी के रूप में प्रकट हुए और तब दोनों का विवाह संपन्न किया गया इतना ही नहीं पाषाण काले स्वरूप में भगवान विष्णु का नाम शालिग्राम पर पड़ा था तथा उसके माथे पर तुलसी का पत्ता रखने से वह अति प्रसन्न होते हैं ग्रामीण खनुआ, कैथ, गिधौसा, छानी नगर में कई मंदिरों तथा हर घरों में तुलसी की पूजा अर्चना कर विवाह की परंपरा में की गई।

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