बोले पारस, बुंदेलखंड में फिल्म उद्योग की हैं अपार संम्भावनाएं
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार
*जनपद में भी फिल्मसिटी की इकाई की स्थापना की उठने लगी मांग
कोंच। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तरप्रदेश के नोएडा में फिल्मसिटी की घोषणा के बाद बुंदेलखंड में सिनेमा से जुड़े व लगाव रखने बाले लोगों में उम्मीद जागी है कि बुंदेलखंड में भी सरकार फिल्मसिटी की एक इकाई जरूर स्थापित करेगी। सरकार के निर्णय से लोग खासे उत्साहित हैं, कोंच फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक पारसमणि अग्रवाल ने कहा कि अपने आंचल में खूबसूरत लोकेशन एवं टेलेंट की खदान समेटे बुंदेलखंड भी अपने उस हक के लिए सरकार के तरफ टकटकी लगाए है जिसका वह हकदार है। नोएडा में यूपी सरकार द्वारा लिया गया फैसला स्वागत योग्य है लेकिन बुंदेलखंड को भी इस सौगात में कुछ जरूर हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
फोटो- पारसमणि अग्रवाल
बुंदेलखंड में टेलेंट भी है औैर उम्दा लोकेशन भी-पारस
कोंच। कोंच ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक पारसमणि अग्रवाल कहते हैं, बुंदेलखंड में फिल्म शूटिंग एवं पर्यटन की प्रबल संभावनाएं हैं। उन्होंने मांग की है कि फिल्मसिटी की एक इकाई बुंदेलखंड के जालौन में भी स्थापित होनी चाहिए जिससे यहां के कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में फिल्मसिटी की इकाई की स्थापना अति आवश्यक है। इसके लिए जनपद जालौन का चयन महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि यहां फिल्म निमार्ण की संभावनाओं के साथ टेलेंट की भरी पूरी खान है। यहां स्थापित होने से लखनऊ, कानपुर, झांसी, औरैया समेत अन्य जनपदों के युवाओं को भी आसानी से मौका मिल सकेगा।
फोटो- संजय सिंघाल
इकाई स्थापित होनेे सेे रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा-सिंघाल
कोंच। बरिष्ठ रंगकर्मी व शिक्षक संजय सिंघाल ने कहा है कि यहां इकाई की स्थापना होने से स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता पर रोजगार मिलेगा। बुंदेलखंड की संस्कृति व सभ्यता को एक नई संजीवनी मिलेगी, साथ ही फिल्मसिटी की इकाई का निमार्ण होने से युवा अपने घर परिवार को छोड़ पलायन करने को विवश नहीं होगें। फिल्मसिटी के निमार्ण में बुंदेली भाषा और बुंदेलखंड को प्राथमिकता मिलनी चाहिए क्योंकि छोटे पर्दे पर बुंदेली भाषा बहुत पंसद की जा रही है। कई धारावाहिकों में बुंदेली का प्रयोग किया गया वह काफी लोकप्रिय रहा। भोजपुरी, हरयाणवी, पंजाबी और हैदराबाद की तर्ज पर हमारे बुंदेलखंड को भी अलग पहचान मिलेगी।
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