लोग नहीं चाहते कि चौकी इंचार्ज का स्थानान्तरण कहीं और हो
वरिष्ठ पत्रकार अलीम सिद्दीकी *प्रार्थना पत्र मिलते ही अपराधी को झपटकर पकडना और पीड़ित को न्याय दिलाना पहली प्राथमिकता है चौकी इन्चार्ज योगेश पाठक की उरई। पुलिस का नाम सुनते ही आम जनता के दिल में एक भाव पैदा होता है। बेलगाम जुबान, कठोर स्वभाव और सामने वाले को लज्जित करने वाले शब्द, जैसे तमाम भाव आम लोगों के दिल और दिमाग में कौंधते रहते हैं। ऐसा नहीं है की विभाग के नीतिकारों ने आम जनता की इस भावना को दूर करने के लिए प्रयास नहीं किये। लेकिन भरपूर प्रयास करने के बावजूद महकमे के लोगों में कोई बदलाव नहीं आया और न ही जनता की धारणा में। कोतवाली थाने, चौकी जैसे जिम्मेदारी वाले पद अनुभवी और तेजतर्रार अधिकारी को सौंपने की पुलिस की पुरानी परम्परा है। लेकिन इस परम्परा का निर्वाह करते समय जिम्मेदार कुछ अपने निजी स्वार्थ में तो कोई फील गुड के चलते अपनी छवि पर दाग लगा लेते हैं तो कुछ राजनैतिक लोगों के मकड़ जाल में फंसकर कैरियर खराब कर बैठते हैं। इससे वर्दी का रसूख और जिम्मेदार का रुतवा दोनों चला जाता है। सरकार भले ही कुछ कहती रहे लेकिन जिलों में खादीधारी पुलिस के काम में दखल देने से बाज नहीं आते। य...