स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीण क्षेत्रो मे लांक डाउन, सोशल डिस्टेडिंग तथा क्वारंटीन का नही किया जा रहा पालन
जालौन से ब्रजेश उदैनियां के साथ दीपक गुप्ता की रिपोर्ट
जालौन। स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन सोशल डिस्टेंस तथा क्वारँटीन का बेअसर साबित हो रहा है। बाहर से आये लोग गांव में खुलेआम घूम रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है। स्थानीय प्रशासन को उनकी सूची भेचने के बाद भी बाहर से आये लोग नहीं कर रहे हैं क्वारँटीन का पालन। समय रहते ग्रामीण क्षेत्र पर स्थानीय प्रशासन का शिकंजा नहीं कसा गया तो स्थिति भयाभह हो सकती है।
खनुआ, खर्रा, लहचूरा, धनोरा, आदि तमाम ऐसे गांव हैं जहां गांव के ही लोग अपनी जीविका के लिए गैर प्रान्त, गैर जनपद में रहकर जीवन यापन करते थे। कोरोना जैसी महामारी को लेकर देश में लॉक डाउन लागू होने पर सभी अपने अपने गांव आ गए। जो खुलेआम गांव की गलियों में घूम रहे दुकानों पर बैठकर बातचीत कर रहे हैं। एक दूसरे के गले मिल रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा कोराना जैसी महामारी से बचाने के लिए सोशल डिस्टेडिग बनाये रखने के लिए पूरे देश में लोक डाउन किया गया लेकिन सरकार के इस फैसले से ग्रामीण स्तर पर कोई असर नहीं दिखाई दिया। लोग घरों में बैठने की बजाय चौराहों पर बैठकर ताश खेल रहे हैं। या फिर चौराहो पर बैठ कर गप्प सडाके मार रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इस लॉकडाउन का कोई असर नहीं है। और न ही ग्रामीण जनता इसे स्वीकार कर पा रही है। हालांकि शहरों में स्थानीय प्रशासन लॉकडाउन करने में पूरी तरह से सफल हैं।लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थित बिल्कुल विपरीत है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं। जिसके लिए पुरे देश को लॉकडाउन किया गया। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में यह लॉकडाउन पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है। प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को नजरअंदाज करने से गांव की स्थिति नाजुक बनी हुई है।ग्रामीणों की मांग पर भी कोई सरकारी स्वास्थ्य परीक्षण आदि गांव में टीमें नहीं जा रही है।अगर जल्दी स्थानीय प्रशासन में ग्रामीण क्षेत्रों की ओर ध्यान नहीं दिया तो गांव से कुछ ही समय बाद भया बाय स्थिति नजर आने लगेगी।
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