ब्राह्मणोचित कार्यों की ओर उन्मुख हों विप्र बंधु-महंत मदनगोपाल दास

वटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार कराते आचार्य पूर्णेन्दु
महंत कामदगिरि मदनगोपाल दास को स्मृति चिन्ह प्रदान करते ब्राह्मïण महासभा के लोग
कोंच से पी. डी. रिछारिया वरिष्ठ पत्रकार   
* ब्राह्मण महासभा द्वारा 17 वटुकों का कराया गया सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार
कोंच। कामदगिरि चित्रकूट के महंत मदनगोपाल दास ने शुक्रवार को ब्राह्मïण महासभा के तत्वाधान में आयोजित ब्राह्मïण बालकों के सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार के दौरान बतौर मुख्य अतिथि कहा, ब्राह्मïण विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है जिसने सदैव राष्टï्र की मंगल कामना और विश्व बंधुत्व की अवधारणा के अनुसार कार्य करते हुए धर्म की रक्षा की है लेकिन आज ब्राह्मïण अपने मूल कर्मों से भटक गया है जिसके कारण उसे उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, विप्र बंधुओं को अपनी संतानों में संस्कार डालने और ब्राह्मïणोचित कार्यों की ओर उन्मुख होना होगा।
ब्राह्मण महासभा के तत्वाधान में शुक्रवार को ब्राह्मण महासभा के प्रांगण में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया जिसमें 17 वटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। वैदिक मंत्रोच्चारण व अनुष्ठान के बीच संपन्न होने हुए इस यज्ञोपवीत संस्कार में वटुकों को जनेऊ धारण कराया गया। यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व वटुकों का मुंडन करवाया गया, बाद में विधि विधान से भगवान गणेश, भगवान परशुराम सहित अन्य देवी देवताओं का पूजन कराया गया तथा यज्ञवेदी के सम्मुख वटुकों को अधोवस्त्र के साथ बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। इस कार्यक्रम की शुभारंभ महासभा के अध्यक्ष देवीदयाल रावत व मुख्य अतिथि रहे कामदगिरि चित्रकूट के महंत मदनगोपाल दास के द्वारा भगवान परशुराम की प्रतिमा पर पुष्पार्चन व द्वीप प्रज्जवन के साथ हुआ। ततपश्चात बटुकों को बरुवा भोज कराकर क्षौर कर्म कराया गया। मेखला धारी बटुकों ने दंड धारण कर वेदी पर बैठ कर पूजा अर्चन किया। कार्यक्रम में बटुक अपनी माताओं व संबंधियों से भिक्षा ग्रहण कर शंख ध्वनि व अन्य वाद्य यंत्रों की ध्वनि के मध्य शिक्षा ग्रहण की। सभी अनुष्ठान कार्यक्रम के आचार्य प्रवक्ता आदर्श संस्कृत महाविद्यालय उरई पूर्णेन्दु मिश्र के द्वारा कराए गए। संचालन राजेन्द्र दुवे ने किया। इस मौके पर महासभा अध्यक्ष देवी दयाल रावत, महामंत्री अनुरुद्ध मिश्रा, प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय उरई जगप्रसाद चतुर्वेदी, संजीव थापक, राघवेन्द्र तिवारी, राजेन्द्र भारद्वाज, धर्मेन्द्र बबेले, संजय रावत, सर्वाचरण वाजपेयी, सनाढ्य सभा अध्यक्ष मनोज दूरवार, मंत्री डॉ. मृदुल दांतरे, रमेश पटैरिया, दिनेशचंद्र दुवे, साकेत शांडिल्य, राजेश मिश्रा, हरिश्चंद्र तिवारी, अलिकेश अवस्थी, रंजन गोस्वामी, बंटे रावत, आनंद पचौरी, रामेश्वरदयाल मिश्रा, गंगाचरण वाजपेयी, विवेक द्विवेदी, रविकांत द्विवेदी, चंद्रकांत द्विवेदी, तनु द्विवेदी, आनंद दुवे, अखिलेश बबेले, अरुण दुवे, रामाधार मिश्र, जयप्रकाश रावत, अज्जू शुक्ला सहित समस्त विप्र बंधु उपस्थित रहे।



वटुकों के मध्य महंत मदनगोपाल दास
इन वटुकों का हुआ उपनयन संस्कार
कोंच। सामूहिक उपनयन संस्कार के दौरान सत्रह वटुकों राजेश तिवारी, प्रथम, शिवम उपाध्याय, सोम तिवारी, सागर तिवारी, कपिल, हिमांशु तिवारी, सानिध्य, ईशांत, हर्षित उपाध्याय, नीरज त्रिपाठी, कपिल शर्मा, कृष्णा गोस्वामी, मृदुल गोस्वामी, अमित वैद, मोहित मिश्रा, अनुज शर्मा का यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। कामदगिरि चित्रकूट के महंत मदनगोपाल दास ने यज्ञोपवीत की आवश्यकता और महत्ता के बारे में वटुकों व विप्र बंधुओं को बताया और नियमों का पालन करने की प्रेरणा दी। 


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