सती चरित्र की कथा सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध’
जालौन से ब्रजेश उदैनियॉ की रिपोर्ट
जालौन ।ग्राम हीरापुर में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास द्वारा सती चरित्र का वर्णन किया गया जिसमें अनसूया नर्मदा आदि के चरित्र की कथा भक्तों को श्रवण कराई गई ।कथा व्यास द्वारा संगीत मय तथा सरस वाणी से कथा को सभी श्रोता सुन मंत्रमुग्ध हो गए।
श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास शिवम शास्त्री कानपुर देहात द्वारा बैठे श्रोताओं को अपनी सरस वाणी में कथा को श्रवण कराते हुए बताया गया कि स्त्री को अपने पति की सेबा करनी चाहिए।तथा अपने पति ब्रत धर्म का पालन करना चाहिए।
पत्नियों को अपने पति को सर्बोपरि मानते हुए उनकी पूजा तथा उनकी आज्ञा माननी चाहिए। अनसूइया के चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि मां अनसूइया के पति ब्रत धर्म को नष्ट करने के लिए जब ब्रह्मा विष्णु महेश देव आए ।और उन्होंने कहा कि आप मुझे भोजन नग्न अवस्था में भोजन कराएं। पति की आज्ञा थी।कि अपने दरबाजे कोई भी साधू संत आये खाली हाथ न जाने दें।अपने पति वृत्त की रक्षा करते हुए उन्होंने तीनों देवों को बालक स्वरूप बना दिए और गोद में लेकर उन को भोजन कराएं तीनों देवों को बालस्वरूप में कर देने पर कई दिन बीत गए। जब उन तीनों देवों की पत्नियों को यह पता चला तो वह मां अनुसुइया के यहां आई।और उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए उनसे अपने पति मांगे।मां अनुसुइया ने उन्हें तीनों देवो को सौंप दिया।पतिव्रत धर्म की यह विशेषता होती है कि पत्नी अपने पति को परमेश्वर मानकर कोई भी कार्य कर सकती हैं ।वही उसका परमात्मा सैयां है।जैसे कि नर्मदा ने सूर्य को छिपा दिया था। जिसमें सारे संसार में हाहाकार मच गया।स्त्री को अपने पति ब्रत धर्म का पालन करना चाहिए। अंत में परीक्षित द्वारा पूजा अर्चना की गई।तथा भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया इस मौके पर अजीत कुमार सुनील कुमार सुरेश कुमार रामेश्वर आदि सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।
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