लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हो पाया ग्राम विकास
मऊरानीपुर से रवि परिहार
मऊरानीपुर (झांसी)- 30 दिसम्बर। आजादी के बाद से हे केंद्र व प्रदेश की सरकारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भरसक प्रयास किए। तथा सरकारों ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामों में संपूर्ण विकास की लगातार कोशिशें भी की। और सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च भी किए। लेकिन ग्रामों की स्थिति को देखकर कोई यह नहीं कह सकता हैं कि यहां कोई विशेष विकास किया गया हो। मऊरानीपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायतों के माध्यम से भी ग्रामों में पंचायत भवन, सड़कें, नालियां, खड़ंजा, रिपटा, पुलिया, आवास, शौचालय जैसे अनेक निर्माण कार्य कराए गए हैं। लेकिन मानक विहीन निर्माण के कारण या उक्त कार्य दिखाई नहीं दे रहे हैं। और जो दिखाई दे रहे हैं उनकी स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। ग्रामों में सफाई कर्मियों की नियुक्ति होने के बाद भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है। घरों से निकलने वाला पानी नालियों के अभाव में मुख्य सड़कों पर फैल रहा है। ग्राम चुरारा में तो प्रत्येक मौसम में सड़कों का नजारा बरसात जैसा नजर आता है। ग्राम पंचायत भवनों की स्थिति इतनी बद से बत्तर हो गई है कि यहां दबंग लोग अपने जानवरों को कंडो, भूसा सहित आदि सामानों का भंडारण कर उसका उपयोग कर रहे हैं। हरे-भरे शीर्षक नाम से कई बार चलाए गए अभियान के तहत लाखों रुपयों के पेड़ गांव में लगाए गए। लेकिन रखरखाव के अभाव में शायद 10 प्रतिशत भी पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं। शौचालयो व आवासों को पात्रों तक पहुंचाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। और प्रदेश से लेकर जिले के अधिकारियों ने भी इसे अपनी नाक का सवाल बनाते हुए भरपूर कोशिशें की। लेकिन इसके बावजूद भी शौचालयों व आवासों का लाभ अपात्रों को हीं मिल पा रहा है। और ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का कार्य संतोषजनक देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसा ही हाल सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जाने वाले आवास योजना का है। आवासों को लेकर हो रहे पक्षपात के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर भी लगातार खराब देखने को मिलता है। कहीं विद्यालय भवन ठीक नहीं है तो कहीं अध्यापकों की कमी देखने को मिलती है। स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बने प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन तो नजर आते हैं। लेकिन चिकित्सकों का अभाव एवं कर्मचारियों की लचर कार्यप्रणाली के कारण इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। कुल मिलाकर आजादी के बाद से सरकारों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर करोड़ों रुपए खर्च करके जो विकास कार्य कराए हैं। उनका लाभ ग्रामों के लोगों को धरातल पर नहीं मिला है। घटिया निर्माण व भ्रष्टाचार के चलते जिन ग्रामों को आदर्श ग्राम बन जाना चाहिए था। वह आज भी दशकों के विकास कार्यों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं से बंचित बने हुए हैं।।
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